चमोली जनपद के अलकनंदा घाटी में बद्रीनाथ के निकट पाण्डुकेश्वर मंदिर ऐतिहासिक दृष्टि से उत्तराखण्ड में सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थल है। यह मंदिर महाभारत कालीन राजा ‘पाण्डु’ और कार्तिकेयपुर के इतिहास को संरक्षित करने में सफल रहा। इस मंदिर से कार्तिकेयपुर नरेशों के चार ताम्रपत्र हुए हैं, जो उत्तराखण्ड के प्राचीन इतिहास के गौरवशाली कालखण्ड को…
Month: March 2022
उत्तराखण्ड के अभिलेख और कुशली
उत्तराखण्ड के अभिलेख और कुशली शब्द का बहुत ही घनिष्ठ संबंध है। यह एक ऐसा शब्द है, जो समाज में आपसी संबंधों को सशक्त बनाता है। इसके अतिरिक्त यह शब्द उत्तराखण्ड के प्राचीन अभिलेखों में उत्कीर्ण लेख हेतु भी उपयोगी था। पाण्डुलिपि या अभिलेखीय साक्ष्य प्राचीन इतिहास के महत्वपूर्ण स्रोत हैं। साहित्यिक और धार्मिक पुस्तकों तथा…
बंगाल का पालवंश और कार्तिकेयपुर के नरेश-
(प्रमुख पाल शासक) क्र.सं. पाल शासक शासन काल अभिलेख 1- गोपाल 750 – 770 ई. ———— 2- धर्मपाल 770 – 810 ई. खालीमपुर लेख। 3 – देवपाल …
पौरव-द्युतिवर्म्मन, कन्नौज सम्राट हर्ष और कार्तिकेयपुर नरेश ललितशूरदेव के राज्य पदाधिकारी-
गुप्त साम्राज्य के पतनोपरांत भारत में क्षेत्रीय राज्य पुनः शक्तिशाली हो गये। कश्मीर से कन्याकुमारी तक नवीन राजवंशों का उदय हुआ। प्राचीन काल से कुमाऊँ के मैदानी क्षेत्र में गोविषाण राज्य अस्तित्व में था, जहाँ की यात्रा सातवीं शताब्दी में चीनी यात्री ह्वैनसांग ने की थी। इस प्राचीन राज्य के पुरातात्विक अवशेष काशीपुर के उज्जैन…
तेवाड़ी ब्राह्मणी और बाजबहादुरचंददेव
भारतीय इतिहास अनेक वीर माताओं की प्रेरक सुकृत्यों को हमारे समक्ष प्रस्तुत करता है। प्राचीन काल से भारतीय समाज वैभवशाली शाक्त-संस्कृति के तहत वीर माताओं की स्तुति करता आया है और समय-समय पर मातृ-शक्ति समाज में अपना बहुमूल्य स्थान बनाये रखने में सफल हुई है। लगभग 4700 वर्ष प्राचीन हड़प्पा कालीन पुरातात्विक सामग्री से…
राजषड्यंत्र और चंद राजा बाजबहादुरचंद का बाल्यकाल-
राजषड्यंत्र प्राचीन काल से राजतंत्र का एक निंदनीय पक्ष रहा है। प्राचीन धार्मिक ग्रंथों रामायण और महाभारत से भी राजषड्यंत्रों के उदाहरण प्राप्त होते हैं। दासी मंथरा को रानी कैकई को दो वरदानों और गंधार नरेश शकुनि का भांजे दुर्योधन को हस्तिनापुर राज्य के लिए भड़काना राजषड्यंत्रों का ही अंश था। कंस का अपने पिता…