चमोली के पाण्डुकेश्वर से ललितशूरदेव के दो ताम्रपत्र- 21 वें और 22 वें राज्य वर्ष के प्राप्त हुए हैं। इस राजा के ताम्रपत्र में उल्लेखित कार्तिकेयपुर की पहचान विद्वान बागेश्वर जनपद के गोमती घाटी में स्थित ‘बैजनाथ’ से करते है, जहाँ प्राचीन मंदिरों का एक समूह गोमती के बायें तट पर स्थित है। इस…
Month: February 2022
ललितशूरदेव का 21वें राज्य वर्ष का पाण्डुकेश्वर ताम्रपत्र (13 वीं से 24 वीं पंक्ति)-
उत्तराखण्ड के उत्तरकाशी से चम्पावत तक विस्तृत भू-भाग पर स्थित प्राचीन मंदिरों से अनेक अभिलेख प्राप्त हुए हैं, जिनमें शिलालेख, स्तम्भलेख, त्रिशूललेख और ताम्रपत्र महत्वपूर्ण हैं। सैकड़ों की संख्या में प्राप्त ताम्र धातु के आयताकार और वृत्ताकार फलक पर उत्कीर्ण लेख ही उत्तराखण्ड के प्राचीन इतिहास के महत्वपूर्ण स्रोत हैं। विभिन्न राजवंशों द्वारा समय-समय पर…
ललितशूरदेव का 21 वें राज्य वर्ष का पाण्डुकेश्वर ताम्रपत्र (प्रथम बारह पंक्तियां)-
पाण्डुकेश्वर नामक स्थान उत्तराखण्ड के चमोली जनपद के अलकनंदा घाटी में स्थित गोविन्दघाट के निकट है। प्राचीन काल में हस्तिनापुर के राजा पाण्डु ने यहाँ तप किया था। इसलिए इस स्थान को पाण्डुकेश्वर कहा गया। राजा पाण्डु ने ऋर्षि किंडम के शाप से मुक्ति पाने हेतु यहाँ भगवान विष्णु का ध्यान और तप किया। इस…
ललितशूरदेव का 21 वें राज्य वर्ष का पाण्डुकेश्वर ताम्रपत्र-
पाण्डुकेश्वर नामक स्थल चमोली जनपद में राष्ट्रीय-राजमार्ग 7 पर जोशीमठ और बद्रीनाथ के मध्य गोविन्दघाट के निकट है। यह स्थल समुद्र सतह से लगभग 1950 मीटर की ऊँचाई पर तथा 30° 38’ 17’’ उत्तरी अक्षांश और 79° 32’ 50’’ पूर्वी देशांतर रेखा पर स्थित है। कत्यूरी शैली में निर्मित यहाँ के प्राचीन मंदिर समूह को…